पूरा नाम :- केदारनाथ गोवर्धन पाण्डेय
जन्म :- 9 अप्रैल, 1893
जन्मस्थान :- उत्तर प्रदेश
पिता :- गोवर्धन पाण्डेय
माता :- कुलवंती
महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जीवनी / Rahul Sankrityayan Biography In Hindi
राहुल सांकृत्यायन का जन्म केदारनाथ राय नाम से 9 अप्रैल 1893 को ब्राह्मण परीवार में उत्तर प्रदेश के भूमिहार में हुआ था.स्थानिक प्राइमरी स्कूल से ही उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और बाद में उन्होंने बहोत सी भाषाओ का भी ज्ञान अर्जित किया और इसके साथ ही उन्होंने फोटोग्राफी का भी काफ़ी ज्ञान अर्जित किया.
महापंडित राहुल सांकृत्यायन / Rahul Sankrityayan को हिंदी यात्रा साहित्य का जनक कहा जाता है क्योकि उन्होंने यात्रा विवरण संबंधित ‘साहित्य कला’ का विकास किया था और उन्होंने भारत के अधिकतर भूभाग की यात्रा भी की थी, उन्होंने अपनी ज़िन्दगी के 45 साल अपने घर से दूर रहकर यात्रा करने में ही बिताये. उन्होंने काफी प्रसिद्ध जगहों की यात्रा की और अपना यात्रा विवरण भी लिखा. यात्रा के दौरान होने वाले अनुभव को विस्तृत रूप से बताने वाले वे एक महान लेखक है, बहोत ही आकर्षक तरीके से वे अपनी यात्रा का अनुभव बताते है, इसीके चलते उन्होंने “मेरी लद्दाख यात्रा” में सभी धार्मिक, इतिहासिक और पारंपरिक जगहों और रिवाजो का विस्तृत विश्लेषण किया था. बाद में वे एक बुद्धा भिक्खु भी बने और मार्क्सिस्ट समुदाय को अपना लिया. सांकृत्यायन एक भारतीय नागरिक थे लेकिन ब्रिटिशो के विरुद्ध एंटी-ब्रिटिश लेख लिखने की वजह से उन्हें तीन साल जेल भी जाना पड़ा था. उनके महानतम कार्यो के लिये उन्हें महापंडित कहा जाता था. वे बहुभाषी और बहुशास्त्री दोनों ही थे. 1963 में उनके कार्यो को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था.
राहुल सांकृत्यायन की किताबे / Rahul Sankrityayan Books :
सांकृत्यायन बहुभाषी होने के कारण बहोत सी भाषाओ में किताबे लिखा करते थे जिनमे मुख्य रूप से हिंदी, संस्कृत, पाली, भोजपुरी, उर्दू, पर्शियन, अरेबिक, तमिल, कन्नड़, तिब्बतन, सिंहलेसे, फ्रेंच और रशियन शामिल है. वे एक इंडोलॉजिस्ट, मार्क्सिस्ट और रचनात्मक लेखक भी थे. 20 साल की उम्र में उन्होंने लेखन के क्षेत्र में अपने काम की शुरुवात की और 100 से भी ज्यादा विषयो पफ लेखन किया लेकिन उनमे से कई विषयो को प्रकाशित नही किया गया था.बाद में उन्होंने मज्झीम निकाय का प्राकृत में से हिंदी अनुवाद किया. हिन्दी में उनकी एक प्रसिद्ध किताब वोल्गा से गंगा (वोल्गा से गंगा तक की यात्रा) है- जिसमे इन्होंने इतिहासिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए वोल्गा नदी और गंगा नदी तक के इतिहास का वर्णन किया है. उनकी यह किताब 6000 BC में शुरू हुई और 1942 मस खत्म हुई, यह वह समय था जब महात्मा गांधी भारत छोडो आंदोलन के भारतीय राष्ट्रिय नेता थे.
इस किताब को के.एन. मुथैया तमिलपुथकलायं ने तमिल में अनुवादित किया और आज भी उनकी यह किताब सर्वाधित बिकने वाली किताबो में शामिल है. तेलगु अनुवाद ने काफी तेलगु लोगो को प्रभावित भी किया था. और देश ले हर कोने में उनकी किताब प्रसिद्ध हो चुकी थी. आज भी इस किताब के बंगाली अनुवाद की लोग प्रशंसा करते है.
1963 में महापंडित को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और 1958 में उन्हें अपनी किताब मध्य एशिया का इतिहास के लिये पद्म भूषण भी मिला था.
संस्कृत में वे दैनिक डीआर्यभि लिखते थे जो अपनी जीवनी को लिखते समय उनके लिये काफी सहायक रही. हिंदी के महालेखक होने के बाद में कठिन शब्दों का उपयोग करने के जगह वे ऐसे शब्दों का प्रयोग करते थे जिन्हें छोटा बच्चा भी आसानी से समझ जाता था. वे पूरी रूचि के साथ अपनी किताबो को लिखते थे. उन्हें हिंदी साहित्य को काफी पहचान थी.
राहुल का चरीत्र काफी आकर्षक और महान था, और साथ ही उनकी उपलब्धियों ने उन्हें सफलता के सातवे आसमान पर पहोचाया. उन्होंने काफी यात्राये की और मुख्य पांच भाषा में यात्रा विवरण करते थे जिनमे हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी, पाली और तिब्बतन शामिल है. उनकी काफी रचनाओ को प्रकाशित भी किया गया है जिनमे जीवनी, आत्मकथा, बुद्धिज़्म, ग्रामर, विज्ञान, नाटक,निबंध, राजनीती इत्यादि शामिल है.
राहुल सांकृत्यायन की मृत्यु –
श्री लंकन यूनिवर्सिटी में रहलन शिक्षक के जॉब को स्वीकार कर लिया था जहा कुछ समय बाद उन्हें किसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया था. डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ने उन्हें जकड लिया था. अंत में उनकी याददाश्त भी चली गयी थी. और 1963 में दार्जिलिंग में उन्होंने अपनी अंतिम साँस ली थी.
अंतिम समय में वे दार्जिलिंग में राहुल निवास में रह रहे थे.
राहुल सांकृत्यायन के कार्य –
उनके लिखे कुछ उपन्यासों :-
बीसवी सदी-1923
जीने के लिये-1940
सिम्हा सेनापति-1944
जय यौधेय-1944
भागों नहीं, दुनिया को बदलो-1944
मधुर स्वप्न-1949
राजस्थानी रानिवास-1953
विस्मृत यात्री-1954
दिवोदास-1960
विस्मृत के गर्भ में
राहुल सांकृत्यायन की लघु कथा-
सतमी के बच्चे-1935
वोल्गा से गंगा-1944
बहुरंगी मधुपुरी-1953
कनैला की कथा-1955-56
आत्मकथा-
मेरी जीवन यात्रा I-1944
मेरी जीवन यात्रा II-1950
मेरी जीवन यात्रा III,IV, V- एकसाथ प्रकाशित की गयी
राहुल सांकृत्यायन ने लिखी जीवनी-
सरदार पृथ्वी सिंह-1955
नये भारत के नये नेता-1942
बचपन की स्मृतिया-1953
अतीत से वर्तमान-1953
स्टॅलिन-1954
लेनिन-1954
कार्लमार्क्स-1954
माओ-त्से-तुंग-1954
घुमक्कड़ स्वामी-1956
मेरे असहयोग के साथी-1956
जिनका मैं कृतज्ञ-1956
वीर चन्द्रसिंह घरवाली-1956
सिंहला घुमक्कड जयवर्धन-1960
कप्तान लाल- 1961
सिंहला के वीर पुरुष-1961
महामानव बुद्ध-1956
उनकी कुछ और किताबे-
मानसिक गुलामी
ऋग्वेदिक आर्य
घुमक्कड़ शास्त्र
किन्नर देश में
दर्शन दिग्दर्शन
दक्खिनी हिंदी का व्याकरण
पुरातत्व निबंधावली
मानव समाज
मध्य एशिया का इतिहास
साम्यवाद ही क्यों
भोजपुरी में-
तीन नाटक-1942
पाँच नाटक-1942
नेपाली अनुवाद
बौद्धधर्नम दर्शन-1984
तिब्बतन से संबंधित-
तिब्बती बाल-शिक्षा-1933
पथवाली-1933
तिब्बती व्याकरण-1933
तिब्बत मे बुद्ध धर्म-1948
ल्हासा की और
हिमालय परिचय भाग 1
हिमालय परिचय भाग 2
जन्म :- 9 अप्रैल, 1893
जन्मस्थान :- उत्तर प्रदेश
पिता :- गोवर्धन पाण्डेय
माता :- कुलवंती
महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जीवनी / Rahul Sankrityayan Biography In Hindi
राहुल सांकृत्यायन का जन्म केदारनाथ राय नाम से 9 अप्रैल 1893 को ब्राह्मण परीवार में उत्तर प्रदेश के भूमिहार में हुआ था.स्थानिक प्राइमरी स्कूल से ही उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और बाद में उन्होंने बहोत सी भाषाओ का भी ज्ञान अर्जित किया और इसके साथ ही उन्होंने फोटोग्राफी का भी काफ़ी ज्ञान अर्जित किया.
महापंडित राहुल सांकृत्यायन / Rahul Sankrityayan को हिंदी यात्रा साहित्य का जनक कहा जाता है क्योकि उन्होंने यात्रा विवरण संबंधित ‘साहित्य कला’ का विकास किया था और उन्होंने भारत के अधिकतर भूभाग की यात्रा भी की थी, उन्होंने अपनी ज़िन्दगी के 45 साल अपने घर से दूर रहकर यात्रा करने में ही बिताये. उन्होंने काफी प्रसिद्ध जगहों की यात्रा की और अपना यात्रा विवरण भी लिखा. यात्रा के दौरान होने वाले अनुभव को विस्तृत रूप से बताने वाले वे एक महान लेखक है, बहोत ही आकर्षक तरीके से वे अपनी यात्रा का अनुभव बताते है, इसीके चलते उन्होंने “मेरी लद्दाख यात्रा” में सभी धार्मिक, इतिहासिक और पारंपरिक जगहों और रिवाजो का विस्तृत विश्लेषण किया था. बाद में वे एक बुद्धा भिक्खु भी बने और मार्क्सिस्ट समुदाय को अपना लिया. सांकृत्यायन एक भारतीय नागरिक थे लेकिन ब्रिटिशो के विरुद्ध एंटी-ब्रिटिश लेख लिखने की वजह से उन्हें तीन साल जेल भी जाना पड़ा था. उनके महानतम कार्यो के लिये उन्हें महापंडित कहा जाता था. वे बहुभाषी और बहुशास्त्री दोनों ही थे. 1963 में उनके कार्यो को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था.
राहुल सांकृत्यायन की किताबे / Rahul Sankrityayan Books :
सांकृत्यायन बहुभाषी होने के कारण बहोत सी भाषाओ में किताबे लिखा करते थे जिनमे मुख्य रूप से हिंदी, संस्कृत, पाली, भोजपुरी, उर्दू, पर्शियन, अरेबिक, तमिल, कन्नड़, तिब्बतन, सिंहलेसे, फ्रेंच और रशियन शामिल है. वे एक इंडोलॉजिस्ट, मार्क्सिस्ट और रचनात्मक लेखक भी थे. 20 साल की उम्र में उन्होंने लेखन के क्षेत्र में अपने काम की शुरुवात की और 100 से भी ज्यादा विषयो पफ लेखन किया लेकिन उनमे से कई विषयो को प्रकाशित नही किया गया था.बाद में उन्होंने मज्झीम निकाय का प्राकृत में से हिंदी अनुवाद किया. हिन्दी में उनकी एक प्रसिद्ध किताब वोल्गा से गंगा (वोल्गा से गंगा तक की यात्रा) है- जिसमे इन्होंने इतिहासिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए वोल्गा नदी और गंगा नदी तक के इतिहास का वर्णन किया है. उनकी यह किताब 6000 BC में शुरू हुई और 1942 मस खत्म हुई, यह वह समय था जब महात्मा गांधी भारत छोडो आंदोलन के भारतीय राष्ट्रिय नेता थे.
इस किताब को के.एन. मुथैया तमिलपुथकलायं ने तमिल में अनुवादित किया और आज भी उनकी यह किताब सर्वाधित बिकने वाली किताबो में शामिल है. तेलगु अनुवाद ने काफी तेलगु लोगो को प्रभावित भी किया था. और देश ले हर कोने में उनकी किताब प्रसिद्ध हो चुकी थी. आज भी इस किताब के बंगाली अनुवाद की लोग प्रशंसा करते है.
1963 में महापंडित को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और 1958 में उन्हें अपनी किताब मध्य एशिया का इतिहास के लिये पद्म भूषण भी मिला था.
संस्कृत में वे दैनिक डीआर्यभि लिखते थे जो अपनी जीवनी को लिखते समय उनके लिये काफी सहायक रही. हिंदी के महालेखक होने के बाद में कठिन शब्दों का उपयोग करने के जगह वे ऐसे शब्दों का प्रयोग करते थे जिन्हें छोटा बच्चा भी आसानी से समझ जाता था. वे पूरी रूचि के साथ अपनी किताबो को लिखते थे. उन्हें हिंदी साहित्य को काफी पहचान थी.
राहुल का चरीत्र काफी आकर्षक और महान था, और साथ ही उनकी उपलब्धियों ने उन्हें सफलता के सातवे आसमान पर पहोचाया. उन्होंने काफी यात्राये की और मुख्य पांच भाषा में यात्रा विवरण करते थे जिनमे हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी, पाली और तिब्बतन शामिल है. उनकी काफी रचनाओ को प्रकाशित भी किया गया है जिनमे जीवनी, आत्मकथा, बुद्धिज़्म, ग्रामर, विज्ञान, नाटक,निबंध, राजनीती इत्यादि शामिल है.
राहुल सांकृत्यायन की मृत्यु –
श्री लंकन यूनिवर्सिटी में रहलन शिक्षक के जॉब को स्वीकार कर लिया था जहा कुछ समय बाद उन्हें किसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया था. डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ने उन्हें जकड लिया था. अंत में उनकी याददाश्त भी चली गयी थी. और 1963 में दार्जिलिंग में उन्होंने अपनी अंतिम साँस ली थी.
अंतिम समय में वे दार्जिलिंग में राहुल निवास में रह रहे थे.
राहुल सांकृत्यायन के कार्य –
उनके लिखे कुछ उपन्यासों :-
बीसवी सदी-1923
जीने के लिये-1940
सिम्हा सेनापति-1944
जय यौधेय-1944
भागों नहीं, दुनिया को बदलो-1944
मधुर स्वप्न-1949
राजस्थानी रानिवास-1953
विस्मृत यात्री-1954
दिवोदास-1960
विस्मृत के गर्भ में
राहुल सांकृत्यायन की लघु कथा-
सतमी के बच्चे-1935
वोल्गा से गंगा-1944
बहुरंगी मधुपुरी-1953
कनैला की कथा-1955-56
आत्मकथा-
मेरी जीवन यात्रा I-1944
मेरी जीवन यात्रा II-1950
मेरी जीवन यात्रा III,IV, V- एकसाथ प्रकाशित की गयी
राहुल सांकृत्यायन ने लिखी जीवनी-
सरदार पृथ्वी सिंह-1955
नये भारत के नये नेता-1942
बचपन की स्मृतिया-1953
अतीत से वर्तमान-1953
स्टॅलिन-1954
लेनिन-1954
कार्लमार्क्स-1954
माओ-त्से-तुंग-1954
घुमक्कड़ स्वामी-1956
मेरे असहयोग के साथी-1956
जिनका मैं कृतज्ञ-1956
वीर चन्द्रसिंह घरवाली-1956
सिंहला घुमक्कड जयवर्धन-1960
कप्तान लाल- 1961
सिंहला के वीर पुरुष-1961
महामानव बुद्ध-1956
उनकी कुछ और किताबे-
मानसिक गुलामी
ऋग्वेदिक आर्य
घुमक्कड़ शास्त्र
किन्नर देश में
दर्शन दिग्दर्शन
दक्खिनी हिंदी का व्याकरण
पुरातत्व निबंधावली
मानव समाज
मध्य एशिया का इतिहास
साम्यवाद ही क्यों
भोजपुरी में-
तीन नाटक-1942
पाँच नाटक-1942
नेपाली अनुवाद
बौद्धधर्नम दर्शन-1984
तिब्बतन से संबंधित-
तिब्बती बाल-शिक्षा-1933
पथवाली-1933
तिब्बती व्याकरण-1933
तिब्बत मे बुद्ध धर्म-1948
ल्हासा की और
हिमालय परिचय भाग 1
हिमालय परिचय भाग 2
No comments:
Post a Comment